मंगलवार, 16 अप्रैल 2019

हम याद आयेंगे

हम याद आयेंगे 
जब यादें भी धुँआ की तरह उड़ती नजर आयेंगी

तुम्हें कोई फर्क नही पड़ता 
कि कैसे जी लिया 
( जंगल सा सघन जीवन )
और कैसे जीता हूँ 
तुम्हारे बगैर 

होंठो पर शिकायत रही हमेशा से 
बस हृदय खामोश रहा 
कि वो कभीभी लौट सकती है 
मौक़ा पाते 

रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

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