शुक्रवार, 8 मार्च 2019

प्रिये !

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प्रिये !
तुम्हे देखने को 
बहुत जी करता हैं 

तुम मीलों दूर क्यूँ चली गई हो 
क्या पास नही रह सकते हम !

वक्त के रवानी में 
बह गया 
वो सबकुछ 
जो बहुत प्यारा लगने लगा था हमें 

कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

चित्र - गूगल से साभार 

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