बुधवार, 6 मार्च 2019

जितनी बार देखू तुझे कम हैं

जितनी बार देखू 
तुझे 
कम हैं 

कम हैं
दिल को सुकून दिलवा पाना 

आदतन 
हुआ हैं ये 
कि मैं तुझसे प्रेम करने लगा हूँ 

तुमपर 
इस कदर 
मरने लगा हूँ 
कि हर समय, हर बखत
तुम्हें सिर्फ तुम्हें
देखने को 
जी चाहता हैं 

रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

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