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Art by Ravindra Bhardvaj |
गीत, गज़ल के ज़माने
चले गये
जितने भी थे मीत पुराने
चले गये
लौटकर नही आये
जो चले गये
सबके सब बिन कुछ बताये
चले गये
देखना हैं अंजाम-ए-मोहब्बत क्या होगा
मेरे हमनवाँ तक जब चले गये
लक्ष्मण-रेखा नही था जाने से पहले
खीचते हुए चले गये
- रवीन्द्र भारद्वाज
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