गुरुवार, 10 जनवरी 2019

उसे पिछली बातें याद नही


वो चली जाती हैं हररोज 
अपने घर के तरफ 
जरा-सा मुस्कुराकर 

उसे 
पिछली बातें याद नही 
शिवाय इसके कि
मैं तन्हा जीता हूँ.. 

थोड़ी सी सहानुभूति छिड़काव जैसे करती है वो 
मुझपर 
ताकि मैं बहुत दूर ना चला जाऊ उससे.

रेखाचित्र व कविता -रवीन्द्र भारद्वाज

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