कहीं से पुकार लो
व्याकुल है ये नैना
तेरी आवाज़ का चेहरा देखने को
फिर कहीं दिखो तो
पास बुला
'कैसे हो' पूछना ना भूलना
यादो से गजब का नाता है
अगर वो रुलायी अभी
तो अगले ही पल हसाँ देगी
कुछ ऐसे ही नाता
तुमसे है
कसम से
मैं नही जी पाया
तुमको खुदसे अलग करके
कसम से..
रेखाचित्र व कविता -रवींद्र भारद्वाज
बहुत खूब.... 👌
जवाब देंहटाएंह्दय से आभार..जी।
हटाएंवाह बहुत खूब छोटे में पुरे भावों को सुंदरता से समेटा आपने ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार..जी आपका।
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