शनिवार, 20 अक्टूबर 2018

यकीं नही होता


तुम तन्हा हो 
यकीं नही होता..

क्योंकि तुम बेपरवाह हो चुकी हो 
मेरी यादो 
और मुझसे.
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें