बुधवार, 17 अक्टूबर 2018

तेरा मुखड़ा



अँधेरे में
तेरा मुखड़ा, चमकता है
चाँद जैसे

मै देख भी नही पाता
जी-भरके
कि अचानक से
गुम हो जाता है
तेरा चाँद का मुखड़ा
अँधेरे में.
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज 

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