राग

प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.

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गुरुवार, 21 मार्च 2019

होरी आ गयों !

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जोगी जी ! होरी आ गयों  मन भांग खा बौरा गयों  तुम बजाओ ढोलक  मैं बजाऊ झाल  होरी आ गयों ऊधो ! माधो का हैं बस इन्तजार  ...
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रवीन्द्र भारद्वाज
काव्य-सृजन, चित्रांकन, अध्यापन
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