राग

प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.

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रविवार, 20 जनवरी 2019

वो भी क्या दिन थे

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सारी रात जगते थे  जब हम मोबाइल पर बातें करते थे  बातें प्याज के छिलके की तरह होती हैं  एक बाद दुसरी  दुसरी के बाद तीसरी  फिर...
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रवीन्द्र भारद्वाज
काव्य-सृजन, चित्रांकन, अध्यापन
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