राग

प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.

▼
वक्त-वक्त की बात है.. लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
वक्त-वक्त की बात है.. लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
मंगलवार, 13 नवंबर 2018

वक्त-वक्त की बात है..

›
वक्त-वक्त की बात है.. कभी तुम अपने थे अभी पराये हो संगमरमर का बदन था चेहरा गुलमोहर सा लाल था लचक कमर की टेढ़ी-मेढ़ी पगड...
4 टिप्‍पणियां:
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
रवीन्द्र भारद्वाज
काव्य-सृजन, चित्रांकन, अध्यापन
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.