राग

प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.

▼
तुमसे मिलकर लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
तुमसे मिलकर लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
सोमवार, 18 फ़रवरी 2019

तुमसे मिलकर

›
तुमसे मिलकर  जानां  जिन्दगी क्या हैं ! वैसे तो जिन्दगी धुप लगती थी  ग्रीष्म की  पर  अब जानां  तुमसे प्यार करके  जिन्दगी  जाड़े ...
6 टिप्‍पणियां:
सोमवार, 1 अक्टूबर 2018

तुमसे मिलकर

›
Art by Ravindra Bhardvaj तुमसे मिलकर पुरे से लगने लगते है हम हम प्रेम की पाती पढ़ते है जब आ जाते है घर और हम गीत सुनते है ...
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
रवीन्द्र भारद्वाज
काव्य-सृजन, चित्रांकन, अध्यापन
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.