राग

प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.

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शुक्रवार, 3 मई 2019

चाहकर भी तुम नही लौट सकती

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चाहकर भी तुम नही लौट सकती  चाहकर भी मैं तुम्हें नही बुला सकता  मजबूरियों के पर निकल आये है  चील के तरह मडराते रहते है  आसमान...
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रवीन्द्र भारद्वाज
काव्य-सृजन, चित्रांकन, अध्यापन
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