गुरुवार, 30 मई 2019

लौटे नही बबुआ के पापा

नदी खामोशी की 
बहती जाती हैं
उसके भीतर ही भीतर 

वो कुछ कहती नही 
किसीसे
आजकल

आजकल 
पैसों का बड़ा मारामारी है 

बड़ी किल्लत चल रही है
उसके घर 

चार दिन हो गये लौटे नही बबुआ के पापा
कही कूछ हो वो न गया हो उनको 

दरअसल बिहार मे वो शराब लेकर गये है

कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

चित्र - गूगल से साभार



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