गुरुवार, 14 मार्च 2019

खाली समय में

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नितांत खाली समय में 
मुझे उसकी याद आयी 
जो भूल चुकी हैं ये कि
उसे भी किसीसे प्यार था 
इतना कि
सम्हालें नही सम्हलता था 
उसका नादान दिल !

वो कालेज के दिन थे 
माघ-पूस महीने की रातों में भी 
रतजगे जश्न की तरह होती थी 

खैर, तुम्हे मुझे भूले 
बरसों हुए 
लेकिन मुझे तुम्हे भुलाना आया ही नही आजतक 

कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

चित्र - गूगल से साभार

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