गुरुवार, 7 फ़रवरी 2019

मेरी नजर में तू हैं


मेरी नजर में तू हैं 
तेरी नजर में कोई और 

किसीसे तुम प्यार करती हो 
किसीसे मैं भी 

दर्द हम समझते हैं 
बखूबी 
एक-दुसरे का 
पर हम एक-दुसरे से प्यार नही करते 

पर हम लाखो बातें करके भी 
एक-दुसरे से 
अजनबी रहना चाहते हैं 
न जाने क्यों  

रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

13 टिप्‍पणियां:

  1. हमेशा की तरह ये भी बेह्तरीन है
    कुछ लाइने दिल के बडे करीब से गुज़र गई....

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  2. जी सह्दय आभार.... इस रचना को "पाँच लिंको के आनंद में" प्रदर्शित करने के लिए।

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  3. वाह बहुत सुन्दर कुछ अलग पर उम्दा।

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  4. पर हम लाखो बातें करके भी
    एक-दुसरे से
    अजनबी रहना चाहते हैं
    न जाने क्यों
    बहुत लाजवाब....

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  5. दर्द हम समझते हैं
    बखूबी
    एक-दुसरे का
    पर हम एक-दुसरे से प्यार नही करते....वाह !!बहुत ख़ूब आदरणीय
    सादर

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