शुक्रवार, 25 जनवरी 2019

तुम शायद जानती हो ये

मेरे दर्द की दवा तू हैं 

तुम शायद जानती हो ये 


मैंने सारी दुनिया से बैर लिया 
तुमसे प्रेम करके 

तुम शायद जानती हो ये 


मैं हिंसक पशु था 
हाँ, मैं था हिंसक पशु !

तुम जानती थी बखूबी ये 


मुझे इंसान बना 
भगवान बन बैठे आखिर तुम 

तुमने अपने इस कृत्य पर गौर नही किया 
कभी 
क्यों?

रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज

2 टिप्‍पणियां:

  1. मेरे दर्द की दवा तू हैं

    तुम शायद जानती हो ये


    मैंने सारी दुनिया से बैर लिया
    तुमसे प्रेम करके

    तुम शायद जानती हो ये ....वाह !!बहुत ख़ूब
    सादर

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