मेरे दर्द की दवा तू हैं
तुम शायद जानती हो ये
मैंने सारी दुनिया से बैर लिया
तुमसे प्रेम करके
तुम शायद जानती हो ये
मैं हिंसक पशु था
हाँ, मैं था हिंसक पशु !
तुम जानती थी बखूबी ये
मुझे इंसान बना
भगवान बन बैठे आखिर तुम
तुमने अपने इस कृत्य पर गौर नही किया
कभी
क्यों?
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
मेरे दर्द की दवा तू हैं
जवाब देंहटाएंतुम शायद जानती हो ये
मैंने सारी दुनिया से बैर लिया
तुमसे प्रेम करके
तुम शायद जानती हो ये ....वाह !!बहुत ख़ूब
सादर
जी बहुत-बहुत आभार....................आदरणीया
हटाएंसादर