शुक्रवार, 7 दिसंबर 2018

गूंज रही है शहनाई..

Art by Ravindra Bhardvaj 
गूंज रही है शहनाई 
हवाओं में 

बचपन के मीत,
प्रीत 
बिछुड़ेंगे कल 

कल के बाद 
पलको पर रह जायेंगी याद भर 
घर-आंगन-मुंडेर की..

और आँखों में आँसू होंगे 
ख़ुशी के कि गम के 
ठीक-ठीक पता लगा पाना मुश्किल होगा.. 
कल के बाद.
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें