मंगलवार, 4 दिसंबर 2018

बहुत याद आउंगा मैं

 

थोड़ा सा बरस जा 
पूरा भींग जाउंगा मैं 

थोड़ा सा तरस जा 
बहुत याद आउंगा मैं 

एकबार तो पाने की कोशिश कर पगली !
मुझे 
पूरा का पूरा मिलूंगा मैं तुम्हें.
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज 

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