प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है..
अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
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गुरुवार, 27 दिसंबर 2018
फिर क्यू नही मिलते हम
Art by Ravindra Bhardvaj
मिले भी तो कुछ इस तरह मिलना बिछड़ना जैसे लगा गले मिलने जैसा कुछ नही था पर बिछड़ना कतई गवारा न हुआ मैं सागर तुम नदी यही कहती थी न तुम फिर क्यू नही मिलते हम जब एक-दुसरे में विलीन होना है हमको - रवीन्द्र भारद्वाज
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