गुरुवार, 27 दिसंबर 2018

फिर क्यू नही मिलते हम

Art by Ravindra Bhardvaj
मिले भी तो कुछ इस तरह 
मिलना बिछड़ना जैसे लगा 

गले मिलने जैसा कुछ नही था 
पर बिछड़ना कतई गवारा न हुआ

मैं सागर 
तुम नदी 
यही कहती थी न तुम

फिर क्यू नही मिलते हम 
जब एक-दुसरे में विलीन होना है हमको
- रवीन्द्र भारद्वाज 

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