प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है..
अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.
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गुरुवार, 13 दिसंबर 2018
शिशिर सिरहाने तक
Art by Ravindra Bhardvaj
शिशिर सिरहाने तक आ पहुँचा है.. सूरज भी अब देर से जगता है 'सो ले कुछ देर और..' कभी मैं तो कभी वो कहे जा रही है- जॉन डन की कविता 'द सन राइजिंग' तैरने लगी है शब्दों की मछलियाँ बनकर पुरे कमरे में. रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
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