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Art by Ravindra Bhardvaj |
तेरी आँखों मे
चांद चमकता है
तेरी बातो मे
गम पिघलता है
मुझे नही मालूम
मै तुम्हे क्यू नही अच्छा लगता
कभी
इस बारे मे भी
कुछ तो बोल पगली !
तुझे नही मालूम
तु किस तरह से छायी है मुझपर
रात के आसमान
और दिन के छत की तरह.. पगली !
रेखाचित्र व कविता - रवीन्द्र भारद्वाज
बहुत बढिया |
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