राग

प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.

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बुधवार, 5 दिसंबर 2018

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तुम महकती थी  जब गुलाब थी  तुम उड़ती थी  जब परवाज थी  तुम चलती थी  जब नदी थी  तुम ठहरी हो अब  धरती हो  बड़ी...
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रवीन्द्र भारद्वाज
काव्य-सृजन, चित्रांकन, अध्यापन
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