राग

प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.

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गुरुवार, 8 नवंबर 2018

वो दिन थे !

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शायद वो दिन थे बसंत के चाँदनी रात की और हल्की-हल्की बरसात की, दिन थे वो ! उनदिनों कुछ कर गुजरना था मर-मिटना था गर तु...
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रवीन्द्र भारद्वाज
काव्य-सृजन, चित्रांकन, अध्यापन
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