राग

प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.

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शनिवार, 16 फ़रवरी 2019

वो गुम हो गयी हैं

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वो ऐसे गुम हो गयी हैं  जैसे हवा  हवा के निशां नही होते  उसके भी नही हैं  कितने पतझर  कितने बसंत  देखे  अकेले  उसे ...
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रवीन्द्र भारद्वाज
काव्य-सृजन, चित्रांकन, अध्यापन
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