राग

प्रेम अनुभूति का विषय है..इसीलिए इसकी अभिव्यक्ति की जरूरत सबको महसूस होती है.. अतः,अपनी मौलिक कविताओं व रेखाचित्रो के माध्यम से, इसे अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा हू मैं यहाँ.

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मंगलवार, 29 जनवरी 2019

जनाब ये इश्क हैं कुछ और नही

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अब तेरी खैर नही  तुझे अपने ही हरायेंगे  कोई गैर नही.  गुलाब के पंखुड़ी से खुले दो होठ हैं  बड़ी कातिलाना निकलता उसमें से शोर हैं. ...
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रवीन्द्र भारद्वाज
काव्य-सृजन, चित्रांकन, अध्यापन
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